दिल के अरमाँ

दिल में अरमाँ जगा लिया मैंने
ये दिन ख़ुशी से बिता लिया मैंने
इक समंदर को मुँह चिढ़ाना था
तो रेत पर घर बना लिया मैंने
अपने दिल को सुकून देने को
इक परिंदा उड़ा लिया मैंने
आईने ढूंढते फिरे मुझको
खुद को तुईन में छिपा लिया मैंने
ओढ़कर मुस्कुराहटें लब पर
आँसुओं का मजा लिया मैंने
ऐ किरण चल समेट ले दामन
जो भी पाना था पा लिया मैंने
लेखिका: प्रिया पल्लवी पांडेय

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Waah kya khub…
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