ओ बेखबर(O Oblivious)

नींद तो बहोत आती होगी तुम्हें
सुकून भी बहोत होगी
आखिर चैन से सोता वही है
जिसे किसी की खबर क्यूँ होगी
अशांत मन के लोग सोते कहाँ हैं
के बन जाते हैं यूँहीं मन के रोगी
नींद तो आती होगी तुम्हें
तुम चैन से सोती होगी
सोचता था मैं यही की
मुझ बिन तू रोती होगी
कमी नहीं जिसको कुछ
उसे क्या खबर होगी
पूछ लेना जाकर उसी से
जिसकी जीवन ही सूनी होगी
खैर छोड़ो बात अब ये
की आँखों में नमी ही होगी
क्या फर्क पड़ता है
जो समुन्दर में कुछ बूँद कम जाए
फर्क नहीं पड़ता है
जो तेरे जीवन से हम जाए
नींद तो आती होगी तुम्हें
तुम सुकून से सोती होगी
झूठी थी उम्मीद मेरी
की अधूरी सी तुम भी होगी
©लेखिका: ए. राजवीर

लगाव 👌
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Sukriya !
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👌
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Thanks😍
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🤭 nice !
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Thanks..!
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