प्रेम पुजारी

देखा है आइना तुमने, रूप ये तेरा निखरा सा,
रुक गयी है साँसे, अटक गयी है धड़कन, पाँव भी मेरा ठहरा सा।
मन में एहसास जगाये, खनकती तेरी चूड़ियाँ ये कुँवारी,
कौन होगा तेरा जिस पर तू जाएगी वारी वारी।
चंचल तेरी कंटीली मुस्कान, मुखड़ा तेरा प्यारा सा,
रोकूँ कैसे खुद को अब, जुल्फ भी तेरा बिखरा सा।।
उस पर भी ये तेरी झाँझर की तीखी सी झनकार,
सुनकर उसकी बोली, हो जाऊँ मैं अब बेक़रार।
नजरें तेरी कंटीली, उसपे ये सुरमे की धार,
इतना भी न सजियो गोरी, बिन साजन है सब बेकार।
होश नहीं अब मुझको, ये मदहोशी का आलम है,
कह देना ज़माने से, अब ये लड़का तेरा बालम है।
लेखिका: अ. राजवीर

बहुत खूब 😇
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Sukriya 😍
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Waah…..pratyek panktiyan laajwab.
मन में एहसास जगाये, खनकती तेरी चूड़ियाँ ये कुँवारी,
कौन होगा तेरा जिस पर तू जाएगी वारी वारी।
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