नारी सम्मान

ऐ नारी, तू क्यों समझे है खुद को बेचारी
ज़िन्दगी भी तुमसे है तुम्ही से है ये दुनियादारी
छोड़ तू अब, रोना धोना दूर कर अपनी लाचारी
ऐ नारी, तुझे सबकी पड़ी क्यूँ है?
साथ सबके तू खड़ी क्यूँ है ?
समझे ना जो तेरा दुःख
मिटाती क्यों है तू उसकी भूख?
ऐ नारी, सुन तू बात हमारी
काम ना आएगा ये तेरा, दबी आवाज़ में बोलना
चुप क्यूँ है बोल तू, घाव के पोल खोल ना
ऐ नारी, तू समझ अपनी भी जिम्मेदारी
मन को तेरे छू ना पाया
जिस्म तेरा है लहूलुहान, क्यों तू करती है?
उस राक्षस की पूजा, देती है इतना सम्मान
ऐ नारी, तू उठ, तू आवाज़ उठा,
छोड़ ऐसे मोह को, अब तू दुर्गा का रूप दिखा,
तन के तुझपे बोलता है, जिसको तूने जना है
क्यों नहीं कर पाती है तू बात कोई भी मना?
ऐ नारी, तू नहीं है बेचारी
छोड़ ऐसे एहसास को, छीन ले जो तेरे सांस को
तू उठ, तू चल, तू अपनी अलग पहचान बना,
जब तू उठ जाएगी, बात अपनी बोल पायेगी,
खुद को नहीं दबाएगी, फिर तू देख
कौन करता है मना
ऐ नारी, अब मत सह, तेरा ही अपमान है,
तेरा भी स्वाभिमान है, अब अपनी राह बना
छोड़ दे, इशारों पे तू दूसरों के नाचना
ऐ नारी, तू कर ले अब पूरी तैयारी
समझा अपना मोल तू, फिर देखेगी ये दुनिया सारी।
लेखिका: अंजल राजवीर

👍👍
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Thanks…😃
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Superb..👍
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Thankyou Simran..!
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My best wishes to your thoughts!
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Thankyou Mayank…!
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Thanks to all..😍
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Nice poitery
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