पाँव की जूती

कुछ समय पहले की बात है, मैं अपने शहर औरंगाबाद से दिल्ली बिज़नेस के सिलसिले में जा रहा था। मेरी यात्रा रेलगाड़ी की थी। मैं अपने खिड़की से बाहर की ओर देखता हुआ जा रहा था। तभी गाडी एक स्टेशन पर रुकी और मैं अपने सामने की सीट की ओर देखने लगा। एक हँसी ठिठोली करता हुआ विवाहित जोड़ा मेरी सीट के सामने वाली सीट पर आ गया। मैं उन्हें देखता रहा क्यूंकि पत्नी की उम्र पति से बहुत कम थी फिर भी दोनों में बहुत आपसी समझ थी। पति अपने पत्नी को तुम की जगह आप बोलकर सम्बोधित कर रहा था। यह देखकर मुझे थोड़ा अजीब लगा की इतनी छोटी है वह ओर उस पे भी पत्नी है वो। पति हर मामले में ऊँचा ही होता है, उसे तुम बोलना चाहिए। ( मेरी परवरिश ही वैसे माहोल में हुई थी जहा पत्नियों पे पति का राज़ चलता है। एक पत्नी को पाँव की जूती से ज्यादा मूल्य नहीं दिया जाता।)
मैं वैसे ही उन्हें देखता हुआ सो गया और सपने में मैं देखता हूँ की मेरी पत्नी गौरी बहुत बीमार है। बिस्तर पर लेटी हुई है और मैं उसके सामने अखबार पढ़ रहा हूँ। गौरी को प्यास लगती है और वह मुझसे एक गिलास पानी मांगती है, जी क्या आप मुझे एक गिलास पानी देंगे? मुझे बहुत प्यास लग रही है। मैं चिढ़ कर उसपे चिल्ला देता हूँ। तुम्हें दिखता नहीं मैं अख़बार पढ़ रहा, ऑफिस से आने के बाद ही मुझे वक़्त मिलता है और तुम्हारी सेवा में लग जाऊँ। जाओ उठ कर ले लो या किसी नौकर से मांग लो। उस वक़्त कोई नौकर घर में नहीं होता। गौरी कुछ नहीं बोलती और उठ कर पानी लेने के लिए खड़ी होती है की वह डगमगा कर गिर पड़ती है, और उसके हाथ से खाली गिलास गिर जाता है। गिलास गिरने की आवाज से मेरी नींद सच में खुल जाती है। जैसे मेरे बगल में कुछ गिरा हो। सामने बैठे जोड़े में से पति मुझसे माफ़ी मांगता हुआ बोलता है,’मुझे माफ़ कीजिये भाई साहब मेरे हाथ से गिलास छूट गया।’ मैं कुछ नहीं बोलता और उठकर बैठ जाता हूँ। वापस मैं उन दोनों को देखने लगता हूँ। पत्नी नींद में सो रही होती है और पति उसके लिए खाना निकाल कर एक प्याली में परोस लेता है। मुझे बड़ा अजीब लगता है। मैं सोचने लगता हूँ की कैसा दबा हुआ दब्बू इंसान है जो काम पत्नी से करवाना चाहिए वो खुद कर रहा है। ऐसे ही लोग पत्नियों का मन बढ़ा देते हैं। फिर भी मैं चुपचाप उन्हीं लोगो को देखता रहता हूँ। पति बड़े सम्मान और प्यार के साथ अपनी पत्नी को उठाता है। ‘उठिये कुछ खा लीजियेगा फिर सो जाईयेगा,उठिये न।’ पत्नी बड़े ही मनमोहक मुस्कान लिए उठ कर बैठ जाती है और बोलती है ‘आपने सब रेडी भी कर लिया?’.और दोनों बड़े प्यार से खाना खाते हैं।
मुझे ये देख कर याद आता है की मैं अपनी पत्नी के साथ कैसा व्यवहार करता हूँ। क्या मेरा व्यवहार सही है या इस इंसान का? इसकी पत्नी कितनी खुश लग रही है और यह इंसान खुद भी कितना प्रसन्न है। मेरी पत्नी के मुस्कान को मैं तरस जाता। हमारा तो घर भी वीरान लगता है। इनको देखो कितनी हंसी ठिठोली नोक झोंक कर ये सफर काट रहे हैं। मैं अपने सपने को याद कर के सोचता हूँ। यह सपना था पर मेरी ज़िन्दगी की हकीकत थी उसमें। कैसा पति हूँ मैं,जो अपनी पत्नी को हमेसा नीचा दिखाता रहा ?
कुछ देर बाद मुझसे रहा न गया और मैंने उस इंसान से पूछ लिया की आपकी पत्नी तो उम्र में काफी छोटी हैं फिर क्यों उन्हें “आप” बोलकर सम्बोधित कर रहे, जबकि पत्नी का स्थान तो पति से छोटा है। वह इंसान मुस्कुराता है और फिर कहता है,’कहाँ लिखा हुआ है की पत्नी का स्थान छोटा है ?’ क्या आपके बच्चे सिर्फ आपके हैं? या घर सिर्फ आप सँभालते हैं? जी मेरी नजर में एक पत्नी का स्थान तो पति से भी ऊँचा होना चाहिए, वो आपके घर को अपना बनाकर संभालती है। आपके माता पिता उसके अपने माता पिता से अधिक महत्वपूर्ण हो जाते हैं उसके लिये, और भी कई बातें हैं जो एक औरत ही संभाल सकती है। अपना घर भूल कर, यह आपके और मेरे बस की बात नहीं है। इसलिए मैं अपनी पत्नी को इज्जत देने के लिये इन्हें आप बोलकर सम्बोधित करता हूँ। आप हर उस सफल इंसान की पत्नियों को देखिये जो सफल ओर खुशहाल जीवन जी रहे हैं। सभी ने अपनी पत्नियों को बराबर सम्मान दिया है। मेरी मानिये जिस दिन आप अपनी पत्नीको इज्जत देना सीख जायेंगे बस जीवन भर तरक्की ही करेंगे। और वह उस सम्मान के बदले अपना जीवन आपके ऊपर न्योछावर कर देगी।
गाडी रुक जाती है और वो दोनों गाडी से नीचे उतर जाते हैं। और मैं रास्ते भर अपनी पत्नी के पास वापस जाने का इंतज़ार करते हुए आगे बढ़ जाता हूँ। मेरा मन बेचैन था अपनी पत्नी को याद कर के और उससे ये कहने के लिये की गौरी मुझे माफ़ कर दो, हर पल मैंने तुम्हे नीचा दिखाने की कोशिश की, तुम मेरे जीवन में उतना ही महत्वपूर्ण हो जितना की मैं…और उस रेलयात्रा ने मेरी सोच बदल दी। अब मेरी समझ में आ चुका था की एक पत्नी पाँव की जूती नहीं होती है।
लेखिका: अंजल राजवीर

Nyc story.
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Thankyou… Aradhana..!🤗
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Sirf ( Panw ki Juti) kaafi hai.
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Thankyou…😃
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Story kaisa Laga ye to aapne bola hi nhi…
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यह कहानी अभी अधूरी लग रही है ! घर जाने के बाद क्या होता है ,क्या वो अपनी पत्नी से वो एहसास जिसने बेचैन कर दिया कहता है ,और अगर कहता है तो क्या सबकुछ फिर से सुधर जाता है ?? कई बार छोटी छोटी बातो को गौर किया जाए तो कुछ भी मुश्किल नहीं है !
शुभकामनाए !
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Thankyou…for your suggestions..!
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Nice one… keep it up👍
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Mast hai 👍
Ya( patni pau ki juti..?)
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Thankyou .. Simran…!
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Nice one.
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Khani bhut hi suder hai sabdo ke mala mai achi thra piroi ho. Age ki sarash ka intajar hai jald post kre…
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Nice story 👍
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कटु सत्य को सुंदर लेखन से प्रस्तुत किया है 👌🏼👌🏼😊
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मैं आभारी हूँ … आपने अपना समय दिया!
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